Sunday, April 15, 2018

बाँटने की धुन

समन्दर अंजुरी में भर
जगत को बाँटने की धुन
बाँधकर बँध तन मन के
हृदय रस माँगने की धुन

सच्चाई को बयाँ कर हम
मिथक का त्याग कर दें तो
विचारों से बनी पोथी
बैठ कर बाँचने की धुन

बिछौना कंटकों का है
न ये फूलों भरी शैया
दुःखों के दायरे भीतर
खुशी को खोजने की धुन

प्रेमरस प्राणिजन की वेदना
की औषधि अनुपम
रही अब डूबकर उनके
ह्रदय को साधने की धुन

नये सतरंग भरे सपने
बनेंगे आपके हमदम
रखो सपने हकीकत की
जमीं में ठालने की धुन

     -यशोधरा यादव 'यशो'

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