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यशोधरा की कविताएँ
Saturday, August 25, 2012
कोलाहल
-यशोधरा यादव "यशो"
कोलाहल के शहर में कैसा है कोहराम
क्षण भर को हटता नहीं, चौराहे का जाम
चौराहे का जाम, लगे सबको रौंदेगा
इन काली सड़कों पर, कौन किसे देखेगा
कहे "यशो" वक्तव्य गाँव की सोंधी कल-कल
वह मृगछौनी छोड़ जिए शहरी कोलाहल।
-यशोधरा यादव "यशो"
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