-यशोधरा यादव
शब्द भाव अहसास का दरिया
प्रिय तुम मेरे गीत रुपहले
चमकेगा सूरज प्रभात का
लेकिन काली रात है पहले
माँझी ने पतवार चलाई
नदिया में तूफान उठा था
नाव किनारे तो पहुँचेगी
लेकिन झंझावात है पहले
आज शिकायत क्यों गैरों से
अपनों का व्यवहार बेगाना
कर अन्तर्मन का अवलोकन
दुनिया को सौगात दे पहले
दीपशिखा यादों की जलती
हृदय भाव बाती बन जाते
प्रियवर सुरमयी राग बनेगा
शब्दों की बरसात हो पहले
बिटिया बनी पराया धन क्यों
अपने घर में बेगानापन
सुरभित करे पिया का घर तो
लेकिन तेरा गात है पहले
उड़ जानी है नील गगन पर
मिट्टी ही तो अपना तन है
पीछे हर पल मौत खड़ी पर
जीवन का संगीत है पहले
" यशो " प्यार से प्यार मिलेगा
मन की द्वेष घृणा को तजकर
एक राह मंजिल का हमदम
हृदय छिपा जज़्वात है पहले
बहुत अच्छी कविता है
ReplyDeleteअच्छी कविता है, वधाई
ReplyDeleteअच्छी कविता है, वधाई
ReplyDeletedhayawaad mari kavita padne ke liye
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