सिसकते हैं दर्द भीतर
पर कड़क हूं,
दूर तक मेरा सफर है
मैं सड़क हूं।
सबका हंसना और रोना
मौन होकर देखती हूं,
नम्रता और क्रूरता के
वार भी मैं झेलती हूं,
दन-दनाती गाड़ियों का
शब्द गुंजन हूं धड़क हूं।
मैं सड़क हूं।
पर्वतों और घाटियों से
भी गुजरना काम मेरा,
नित्य होता है हृदय पर
मानवीय अभिराम फेरा,
शाम हूं नीरव निशा हूं
भोर की कलरब चहक हूं
मैं सड़क हूं।
मुंह नहीं पर बोलती हूं
पग नहीं पर डोलती हूं,
नित्य जीवन की दिशाऐं
जिधर चाहों मोड़ती हूं,
आम भी मैं खास भी पर
सबका अपनाअपना हक हूं।
मैं सड़क हूं।
प्रिय मिलन को दौड़ती हूं
और रिश्ते जोड़ती हूं,
संयमित रफ्तार कर लो
मैं सभी से बोलती हूं,
हादसों पर बिलबिलाती,
पीर हूं फिर भी कड़क हूं।
मैं सड़क हूं।
खिलखिलाता साथ देखा
टूटता जीवन भी देखा,
राज और हमराज की मैं
खींचती हूं नित्य रेखा,
मैं 'यशो 'सबके सफर का
साथ हूं पग हूं धमक हूं
मैं सड़क हूं
सिसकते हैं दर्द भीतर
पर कड़क हूं,
दूर तक मेरा सफर है
मैं सड़क हूं।
यशोधरा यादव 'यशो'
कृपया मेरे गीत को पढ़ें एवं अपनी प्रतिक्रिया दें।
ReplyDeleteNICE :)
ReplyDeleteGood
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