Saturday, October 6, 2012

चाँदनी


-यशोधरा यादव  यशो
रात सपने में सिरहाने आन बैठी चाँदनी
श्वेत पर धारण किए, चुपचाप बैठी चाँदनी
मन हुआ मैँ पूछ बैठी, क्या हुआ ए चाँदनी
आज अन्तःवेदना को, आ छुओ ए चाँदनी ।


व्योम से उतरी धरा पर, चाँद के उर से छिटकती
प्रेम का आलोक भरती, रश्मियाँ भू पर बिखरती
मैं तुम्हारी छाँव में कुछ पल ठहरना चाहती हूँ
आज तेरे साथ जग फैलाव देना चाहती हूँ
चार दिन खिलती हो, फिर क्यों लापता एक चाँदनी
आज अन्तःवेदना को, आ छुओ ए चाँदनी ।



रात के अस्तित्व को तुम पीयुषी छिड़काव दो
ताड़कर दुख दर्द गम इक, शबनमी बिखराव दो
तेरे मधुमय राज में, सदप्रेम की सरगम बजे
आ सुबह की गोद में, कुछ तुहिन के मोती सजे
सत्यता की ओढ़नी, जग को उढ़ाए चाँदनी
आज अन्तःवेदना को, आ छुओ ए चाँदनी ।



रूप के शैशव से बिखरी, भावना अपनत्व की
लालिमा के न्यास से ही, कल्पना कवितत्व की
तुम सितारों की ओ रानी, यह जगत तेरी कहानी
तेज शर से भेद तम को, कर रही भू को सुहानी
शब्द की वाणी बनी, करती बयां ए चाँदनी
आज अन्तःवेदना को, आ छुओ ए चाँदनी ।



चाँद की हमसफर प्रेयसि, ध्वनित करती रागिनी
दुग्ध उज्ज्वल मोतियों से, प्यार की आराधिनी
आ चकोरी आ तमस में, अब न कोई दम घुटे
शीतला की इक किरन से, दूर कारा तम हटे
जग पथिक विश्रांति पाएँ, दे दुआ ए चाँदनी
आज अन्तःवेदना को, आ छुओ ए चाँदनी ।



चन्द्रिका के हास में आ, यामिनी मुझको मिली
बैठ मन की लहर पर, इक प्रम की पंखुरी खिली
गीत का उच्छवास ही तो, चाँद का उन्माद है
आ रुपहली रात ने, लिखा नया सम्वाद है
शब्द रत्नाकर बनाऊँ, भाव दे ए चाँदनी
आज अन्तःवेदना को, आ छुओ ए चाँदनी ।


-यशोधरा यादव यशो

4 comments:

  1. कल 11/12/2012को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं .... !!
    आपके सुझावों का स्वागत है .... !!
    धन्यवाद .... !!


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  2. शब्दों में लालित्य, भावों में माधुर्य देखते ही बन रहा है.स्मृति पटल के लुप्त-प्राय शब्द पुनर्जीवित हो उठे.वाह !!!!!!!!!!

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  3. बहुत खूबसूरत चाँदनी... :)
    ~सादर!!!

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